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कबीर वारसी

1944

मख़्सूस तरन्नुम के मालिक

मख़्सूस तरन्नुम के मालिक

कबीर वारसी का परिचय

उपनाम : 'कबीर'

मूल नाम : कबीर हुसैन

जन्म : 01 Jan 1944 | बाराबांकी, उत्तर प्रदेश

संबंधी : तहय्युर शाह वारसी (पिता)

कबीर वारसी का अस्ल नाम सय्यद कबीर हुसैन है। पैदाइश 25 जनवरी 1944 ई’स्वी को देवा ज़िला' बाराबंकी में हुई। वालिद का नाम सय्यद तहय्युर शाह था जो चौधरियान नज़्द-ए- आस्ताना-ए-वारिस-ए-पाक के रहने वाले थे। कबीर वारसी ने इब्तिदाई ता’लीम मदरसा मिस्बाहुल-उ’लूम, देवा से हासिल की। फिर हाई स्कूल का इम्तिहान पास किया। वो पेशे से ताजिर थे। ख़ास तौर पर प्रापर्टी डीलर का काम करते थे। उन्हें शे’र-ओ-शाइ’री से गहरी दिलचस्पी थी। वो मख़्सूस तरन्नुम के मालिक थे जिस की वजह से उत्तर-प्रदेश के मुशाइ’रों में मद्ऊ’ किए जाते थे और दाद-ए-सुख़न भी हासिल करते थे। कबीर को शाइ’री में मौलाना अख़तर अ’लवी वारसी से तलम्मुज़ था। उनका शे’री कारनामा “जाम-ए-सुख़न” के नाम से मंज़र-ए-आ’म पर आ चुका है। उस में हम्द-ओ-ना’त के अ’लावा मंक़बत और ग़ज़लें शामिल हैं। दूसरा शे’री मजमूआ “शहर-ए-मोहब्बत” के नाम से शाए’ हो चुका है जो हाजी वारिस अ’ली शाह की ता’लीम-ए-मोहब्बत का मुरक़्क़ा' है। कबीर वारसी की ज़बान निहायत ही नर्म और शाइस्ता है।


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