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مہاتما شیم داس جی

مہاتما شیم داس جی

دوہا 7

अब कहूँ गोद कहूँ पालनै, कहूँ हासौ कहूँ रोज।।

गिरयो पडयो घुटने चल्यो, नहीं ग्यांन को खोज।।

काहू पूरब पुन्य करि, तैं पाई नर देह।।

कै महरवान हो मौजदी, जन्म सुफल कर लेह।।

दस महीनां गर्भवास में, तहां रह्यौ मुख मूंदि।।

जहां तात मात की गम नहीं, वहां राखनहारा कौन।।

पंचकै तन काहू रच्यो, बच्यो अगन मंझार।।

जब इनमें कहू कौन था, जो अब कहै हमार।।

साबधान होय चुप रहे, चितयौ है चहुँ और।।

वाट वीचि ही ले गए, बसत साह की चोर।।

چوپائی 3

 

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