मयकश वारसी का परिचय
मयकश वारसी का पूरा नाम अ’बदुल-हफ़ीज़ ख़ाँ था। जगदीशपुर ज़िला भोजपुर के रहने वाले हकीम अ’ब्दुल मजीद ख़ाँ वारसी के साहिब-ज़ादे थे। पैदाइश जगदीशपुर में 1935 ई’स्वी में हुई। इब्तिदाई ता’लीम मक़ामी मदरसा में क़ारी अ’ब्दूर्रज़्ज़ाक़ साहिब से हासिल की। फिर हाई स्कूल में दाख़िला लिया और 1952 ई’स्वी में मैट्रिक का इम्तिहान पास किया। 1969 ई’स्वी में महकमा -ए-रजिस्ट्रेशन बिहार में मुलाज़िम हुए और उसी महकमा से 1990 ई’स्वी में सुबुक-दोश हो कर बक़िया ज़िंदगी घर पर गुज़ारी।मयकश ने 20 जुलाई 2002 ई’स्वी में इंतिक़ाल किया। मयकश वारसी एक फ़ितरी शाइ’र थे। शाइ’री उन्हें विरासत में मिली थी। उनके बड़े भाई जामी वारसी आरा के मा’रूफ़ शो’रा में शुमार किए जाते थे। मयकश वारसी अपने बड़े भाई जामी वारसी से इस्लाह-ए-सुख़न लेते रहे और फ़न को परवान चढ़ाते रहे।इन्हें मुनव्वर शाह हामिल वारसी से बैअ’त हासिल थी । उनका कलाम “कलाम-ए-मय-कश” के उ’न्वान से दस्तियाब है|