मुल्ला ग़व्वासी का परिचय
दक्कन के तीन महाकवियों में से एक। इनकी दो कृतियाँ मिलती हैं- (1) सैफ़ुल्मुलूक और (2) बदीउज्जमाल, जो उन्होंने 1625 ई. में लिखा और दूसरी तूतीनामा जो पहली कृति से चौदह साल बाद 1639 ई.में समाप्त किया। यह गोलकुंडा के शाइर थे जिसके पास हैदराबाद तब आबाद हो चुका था। मुहम्मद क़ुली क़ुतुब शाह ने हैदराबाद को अपनी प्रेमिका भागमती के नाम पर पहले भागनगर नाम दिया था, बाद में उसने प्रेमिका का नाम 'हैदरमहल' रख कर नगर को भी हैदराबाद प्रसिद्ध करना चाहा था, लेकिन तब वह सफल नहीं हुआ। गौवासी की रचनाएं मुहम्मद क़ुली क़ुतुब शाह (मृ. 1612 ई.) के समय ही शुरु हो गयी थी। लेकिन वह राजकवि नहीं हो पाया था। मुहम्मद क़ुली के उत्तराधिकारी मुहम्मद क़ुतुब के शासन के चौदह साल (1612-26) में भी इस महान कवि की क़दर नहीं हुई। अगले उत्तराधिकारी सुल्तान अब्दुल्ला क़ुतुब शाह के शासन काल (1625-62 ई.) में ही गौवासी का सितारा चमका। तूतीनामा (1638) लिखने के समय वह राजकवि था।