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मुस्तफ़ा ख़ान यकरंग

मुस्तफ़ा ख़ान यकरंग

कविता 3

 

दोहा 2

रंग वही यकरंग रंगो, कि सबसे रंगा जाय।

'यकरंग' तुम वह रंग रंगो, कि हर रंग में मिल जाय।।

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संपत तो हम के कटें, विपत कटें ना रोय।

'यकरंग' आसा राखिये, हरि चाहे सो होय।।

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पहेली 1

 

राग आधारित पद 6

होरी 2

 

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