मुज़्तर ख़ैराबादी के दोहे
तन पाया तब मन मिला मन पाया तब पीउ
तन-मन दोनों पी के हैं पी का नाम है जीउ
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
तुम ही जगत-महराज हो और 'मुज़्तर' तुमरे दास
जिन हालन चाहो रखो पर रखना अपने पास
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
चित्त मोरा बे-चित्त किया मार के नैनाँ बान
मित्र बने तुम चित्र के चित्र किया क़ुर्बान
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
दर्शन जल की प्यास है कुछ भी नहीं है चाव
तुम जग-दाता बज रहे तो काम हमारे आओ
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया