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निज़ामी गंजवी

1141 - 1209 | गांजा, अज़रबैजान

मस्नवी मख़ज़नुल-असरार, ख़ुसरौ शीरीं और लैला मज्नूँ के मुसन्निफ़

मस्नवी मख़ज़नुल-असरार, ख़ुसरौ शीरीं और लैला मज्नूँ के मुसन्निफ़

निज़ामी गंजवी का परिचय

उपनाम : 'निज़ामी'

मूल नाम : जमालुद्दिन अबु मोहम्मद इलियास

जन्म :गांजा

निधन : ईरान

निज़ामी गंजवी शहर-ए- गंजा आज़रबाईजान में 520 हिज्री मुवाफ़िक़ 1130 ई’स्वी से 525 हिज्री मुवाफ़िक़ 1141 ई’स्वी के दरमियान पैदा हुए। उनका नाम इल्यास , कुनिय्यत अबू मुहम्मद, लक़ब निज़ामुद्दीन और तख़ल्लुस निज़ामी था। निज़ामी गंजवी की प्रसिद्धि उनकी मसनवी के कारण है| जिनमें मख़्ज़नुल-असरार, ख़ुसरो शीरीन और लैला मजनूँ बहुत महत्वपूर्ण हैं। वह अपने समय के लोकप्रिय उ'लूम में पारंगत थे| वह ज्योतिष, फ़ारसी, अ'रबी और अन्य भाषाओं में भी पारंगत था। इन विज्ञानों के अलावा, उन्हें चिकित्सा में सबसे अधिक दिलचस्पी थी। संभवतः इसी लगाव के कारण उनकी कविताओं में चिकित्सा शब्द, दवाएँ और बीमारियों के नाम पाए जाते हैं। उनकी कविताओं का एक संग्रह पंजगंज-ए- निज़ामी या ख़म्सा-ए-निज़ामी के नाम से उपलब्ध है। निज़ामी-ए- गंजवी ईरानीउन्नसल थे। वो शाइ’र,मुसन्निफ़, फ़लसफ़ी और न जाने क्या-क्या थे। वो बहुत सी ख़ूबियों के मालिक थे। फ़िरदौसी, सनाई और ख़ाक़ानी से काफ़ी मुतअस्सिर थे। निज़ामी का इंतिक़ाल 606 हिज्री मुताबिक़ 1209 ई’स्वी में गंजा आज़रबाईजान में हुआ और वहीं दफ़्न हुए।

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