क़ाज़ी महमूद दरियाई
ग़ज़ल 1
शे'र 1
दोहा 5
कलमा शहादत तिल न बिसारो जिसथी छूटो निदान।
महमूद मुख थी तिल न बिसरे अपने अल्लाह का नाम।।
- अपने फ़ेवरेट में शामिल कीजिए
-
शेयर कीजिए
खाओ हलाल बोलो मुख सांचा राखो दुरुस्त ईमान।
छोडो जंजाल झूठी सब माया जो मन होए ज्ञान।।
- अपने फ़ेवरेट में शामिल कीजिए
-
शेयर कीजिए
मन में गरब तू मत करे, तुझ बैन कई लाख।
तेरा कहिया कौन सूने, महमूद कूं सो माख।।
- अपने फ़ेवरेट में शामिल कीजिए
-
शेयर कीजिए
महमूद भूखाँ भोजन दीजें, तरसा दीजे पानी।
ऊँचा सेंती नम नम चलिये, मोटम न मन में आनी।।
- अपने फ़ेवरेट में शामिल कीजिए
-
शेयर कीजिए
सवार उठ लीजे अपने अल्लाह का नांव।
पाँचों वक्त नमाज़ गुज़ारों दायम पढ़ो कुरान।।
- अपने फ़ेवरेट में शामिल कीजिए
-
शेयर कीजिए