राही वारसी का परिचय
अ’ली वारिस ख़ाँ नाम और राही तख़ल्लुस था। औघट शाह वारसी के ज़रिआ’ वारसी सिलसिले से मुंसलिक हुए। आपका शुमार जगदीशपुर ज़िला' भोजपुर. आरा के तअ’ल्लुक़-दारों और रुऊसा में होता है। पैदाइश 1919 ई’स्वी में जगदीशपुर के एक ज़मीं-दार घराने में हुई। वालिद का नाम वारिस अ’ली ख़ाँ था जो हाजी वारिस अ’ली शाह के मुरीद थे। आपने आस्ताना वारिस-ए-पाक, देवा में दो कमरे ता’मीर करवाए थे। एक अपने नाम और दूसरा अपनी वालिदा के नाम जिसमें आज ज़ाइरीन क़याम करते हैं। ऑल इंडिया दरगाह-ए- वारसी एसोसिएशन के लाईफ़ मेंबर थे |कुछ दिनों तक उसके सद्र भी रहे। एक बार आप कांग्रेस के टिकट पर जीत कर एम.एल.ए भी हुए थे और फिर कुछ अ’र्सा मुग़ल लाईन ऑफ़ इंडिया के डायरेक्टर भी हुए। राही वारसी अफ़्क़र मोहानी से इस्लाह लिया करते थे। इंतिक़ाल 14 अक्तूबर 1984 ई’स्वी को हुआ|