Sufinama
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रज्जब

1557 | सांगनेर, भारत

रज्जब का परिचय

संवत् 1644 के आस पास इन्होंने दादू साहब के उपदेश से विवाह का विचार त्याग दिया और विरक्त संत हो गए। इनकी तीन रचनाएँ मिलती हैं- अंग बंधू, सवंगी और वाणी। अंगबंधू में दादू जी की रचनाएँ है। इनकी वाणियों का संग्रह जो बंबई से प्रकाशित हुआ है- उसमें 5427 साखियाँ, 218 पद, 116 सवैया, 73 अरिल्ल, 79 छप्पय और फुटकल छंद है

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