साधु निश्चलदास की साखी
सत्यबंध की ज्ञान तैं, नहीं निवृत्ति सयुक्त।
नित्य कर्म संतत करैं, भयो चहै जो मुक्त ।।
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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere