Sufinama
noImage

साधु निश्चलदास

साधु निश्चलदास की साखी

सत्यबंध की ज्ञान तैं, नहीं निवृत्ति सयुक्त।

नित्य कर्म संतत करैं, भयो चहै जो मुक्त ।।

ब्रह्मरूप अहि ब्रह्मवित, ताकी बानी बेद।

भाषा अथवा संस्कृत, करत भेद भ्रम छेद।।

अंतर बाहिर एकरस, जो चेतन भर पूर।

बिभु नभ सम सो ब्रह्म है, नहिं नेरे नहिं दूर।।

भ्रमन करत ज्यूं पवन तैं, सूको पीपर पात।

शेष कर्म प्रारब्ध तै, क्रिया करत दरसात।।

aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

Recitation

Jashn-e-Rekhta | 8-9-10 December 2023 - Major Dhyan Chand National Stadium, Near India Gate - New Delhi

GET YOUR PASS
बोलिए