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सीमाब अकबराबादी

1880 - 1951 | आगरा, भारत

मुमताज़ और जदीद शाइ’रों में नुमायां, सैकड़ों शागिर्दों के उस्ताद और हाजी वारिस अ’ली शाह के मुरीद

मुमताज़ और जदीद शाइ’रों में नुमायां, सैकड़ों शागिर्दों के उस्ताद और हाजी वारिस अ’ली शाह के मुरीद

सीमाब अकबराबादी का परिचय

मौलवी मोहम्मद हुसैन के बेटे सैयद आशिक़ हुसैन सिद्दीकी को अल्लामा सीमाब अकबर आबादी के नाम से जाना जाता है। वो आगरा  में जन्मे। दाग देहलवी के शिष्य थे। एक समय में वो  घर-घर पढ़े जाते थे। कहते हैं पूरे भारत में उनके हज़ारों शिष्यों थे। किताबों की संख्या भी बहुत ज़्यादा है। पत्रिका शायर के समकालीन उर्दू साहित्य नंबर 1997-98 में उनके किताबों की एक सूची इफ्तिखार इमाम सिद्दीकी ने दी है। गद्य और पद्य की अक्सर शैली में उनकी किताबें मिल जाती हैं। क़ुरान-पाक का मंजूम अनुवाद किया। ग़ज़ल से ज़्यादा नज़्म पर पर जोर था। कहा जाता है कि छात्र जीवन में वो फ़ारसी पाठ्यक्रम में जितने शेर होते थे उनका मंजूम उर्दू अनुवाद शिक्षकों के सामने रख देते थे। कुछ समय रेलवे में कार्यरत रहे। एक साप्ताहिक पर्चा '' ताज '' और एक मासिक पत्रिका ''शायर ''निकाला। कलीम-ए-अज्म और सिदरतुल मुंतहा  से  '' लौह-ए-महफ़ूज'' तक सीमाब  की काव्य यात्रा खासी  लंबी है। जैबुन्निसा बेगम पर भी उनकी किताब यादगार है। पत्रिका शायर आज भी बम्बई से निकल रहा है। पाकिस्तान में सीमाब अकादमी भी स्थापित है।

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