शाह अबुल मआली के सूफ़ी उद्धरण

ऐ ख़ुदा! मुझे अपने पीर की मोहब्बत की तौफ़ीक़ दे, ताकि मेरी ज़िंदगी का मक़सद पूरा हो जाए।
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया

जब मैं दिल-ओ-जान से अपने महबूब का सच्चा आशिक़ हूँ और उस की पूरी मेहरबानी भी मुझ पर है, तो फिर मुझे किसी और की क्या ज़रूरत है।
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere