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شیودیال سنگھ

شیودیال سنگھ

پد 12

ساکھی 6

गुप्त रूप जहां धारिया, राधास्वामी नाम।

बिना मेहर नहिं पावई, जहां कोई बिसराम।।

  • شیئر کیجیے

बैठक स्वामी अद्भुती, राधा निरख निहार।

और कोई लख सके, शोभा अगम अपार।।

  • شیئر کیجیے

मोटे बन्धन जगत के, गुरु भक्ति से काट।

झीने बन्धन चित्त के, कटें नाम परताप।।

  • شیئر کیجیے

संत दिवाली नित करें, सत्तलोक के माहिं।

और मते सब काल के, योंही धूल उड़ाहिं।।

  • شیئر کیجیے

सुरत रूप अति अचरजी, वर्णन किया जाय

देह रूप मिथ्या तजा, सत्तरूप हो जाय।।

  • شیئر کیجیے

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