Font by Mehr Nastaliq Web
Surdas's Photo'

सूरदास सोलहवीं सदी के एक ना-बीना सन्त शाइ’र और गुलूकार जो कृष्ण जी की ता’रीफ़ में कलाम लिखने पर शोहरत रखते हैं

सूरदास सोलहवीं सदी के एक ना-बीना सन्त शाइ’र और गुलूकार जो कृष्ण जी की ता’रीफ़ में कलाम लिखने पर शोहरत रखते हैं

सूरदास का परिचय

वल्लाभाचर्य के शिष्य। जन्म स्थान ग्वालियर (51.. पीताम्बर दत्त बड़थ्वाल), मथुरा (कवि मियाँ सिंह), रूनकता (आचार्य रामचंद्र शुक्ल) सीही अन्य विद्वान बताते हैं। किन्तु रूनकता सर्वमान्य है। इसके पास ही गऊघाट पर वल्लाभाचर्य से इनकी मुलाक़ात हुई थी। इन्होंने पुष्टिमार्ग के आधार पर कृष्णभक्ति के हजारों पद बनाये जिनका संकलन सूरसागर के नाम से प्रसिद्ध है। इनकी अन्य दो रचनाएँ सूरसारावली और साहित्य-लहरी प्रसिद्ध है।

संबंधित टैग

Recitation

बोलिए