سوامی بھگوان داس جی کے دوہے
پی پیوش جیو جگت سوں تجی ایکت اگیان
اکھنڈ دھار جیوں تیل کی سو امرت پرمان
امرت دھارا گرنتھ یہ کہیو وید پرمان
ارجن داس پرکاس گرو تت سیوگ بھگوان
ارتھ دھرم ارو کام پنی تیاگ پدارتھ تین
سو ادھیکاری موکش کو مہا گیان پروین
تھانن مقام پرمان یہ شیترواس سو نام
تہاں گرنتھ پورن پرگٹ جو بھاکھے بھگوان
یہ سنشیہ کی گرنتھی ہے کہی الپ کر سوئ
گرو شاستر پرتیت نہں نشچیہ کچھو نہ ہوئ
سترہ سئے اٹھائیسا سموت سنکھیا جان
کاتگ ترتیا پرتھم ہی پورن گرنتھ پرمان
جگ کے بندھن گیان تیں مکت ہون کی آس
آس واس وسواس تجی سو ممکشو پرکاس
سادھو سنگ پرتاپ تیں شری گرو گیان پرکاش
شدھ نرنجن گیان لہی کینہوں وچن ولاس
پرمبرہم پر ماتما ہے پروکش پد جاس
گیان اگیہ پرتیکش کو، کینہوں گرنتھ پرکاش
منگل روپ سوروپ مم نجانند پد جاس
لہیو منگلاچرن یہ سوہں ہنس پرکاس
जीव ग्रन्थ बन्धन सही, कह्यौ मुक्ति को भेद।
परे उरे सुख एक है, यों भाषत है वेद।।
देह बुद्धि सो अज्ञता, ब्रह्म बुद्धि सो ग्यान।।
अंजन रंजन ता नही, सो स्वरूप भगवान।।
किंकर कहिये तास को, सो अति कामी जानि।।
ज्यों राशभ वश राशभि, ज्यूँ सुनहि वस श्रानि।।
नारद मुनि पृथु सों कहै, विष्णु गये ता धाम।।
वृंदा रानी असुर की, जालंधरपुर नाम।।
भाषाकृत को नेम यह, सबै कहै भगवान।।
वैराग विशेषण है प्रगट, इष्ट निरंजन ग्यान।।
भाषा कृत टीका यहै, शत तीन्यूं परकास।।
दोहा सवैया चौपई, कुंडलि कवित्त विकास।।
यथाशक्ति वर्णन करो, मन की ममता खोय ।
कहत सुनत सुख ऊपजै, अरु परमारथ होय।।
यह कार्तिक महिमादि पुल, भक्ति धर्म परमान।।
रामकृष्ण की सुरति सों, भाखत है भगवान।।
मूल भर्तृशतक यह, एकै शत प्रमान।।
ओर पध जो बीस है, प्रस्तावी सो जान।।
प्रथम हि गुरु गोविन्द को, सुमरण सीस नवाइ।।
वाकपति गणपति सहित, कविजन भलो मनाइ।।
छपै छंद अरु सोरठा, अरिल रूप यह जान।
अति निर्मल वैराग्यतर, सार सार परमान।।
बालवेद मुकाम हैं, शुभ विप्रन को वास।।
तहाँ ग्रन्थ पूरन भयो, निर्मल धर्म विलास।।
स्वतः प्रकाश स्वरूप मम, वंदौं शीश निवाय।।
बुद्धि शुद्ध प्रकाश होय, विन्ध नाश सब जाय।।
यामै कछु धोखो नहीं, सत्य वचन परमान।
ईश्वर वाणी वेद है, कहयौ भाखि भगवान।।
aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere