बारहवीं सदी के मुबल्लिग़ और सूफ़ी बुज़ुर्ग थे, उनको क़ुरून-इ-वुस्ता के सबसे मुमताज़ और क़ाबिल-ए-एहतिराम सूफ़िया में से एक कहा गया है, उनका मज़ार पाकपतन, पाकिस्तान में है
बारहवीं सदी के मुबल्लिग़ और सूफ़ी बुज़ुर्ग थे, उनको क़ुरून-इ-वुस्ता के सबसे मुमताज़ और क़ाबिल-ए-एहतिराम सूफ़िया में से एक कहा गया है, उनका मज़ार पाकपतन, पाकिस्तान में है