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अब्र शाह वरसी

1901 - 1963 | मुल्तान, पाकिस्तान

बेदम शाह वारसी के मुरीद और मा’रूफ़ वारसी मुसन्निफ़-ओ-शाइ’र

बेदम शाह वारसी के मुरीद और मा’रूफ़ वारसी मुसन्निफ़-ओ-शाइ’र

अब्र शाह वरसी का परिचय

उपनाम : 'अब्र'

मूल नाम : अल्लह दत्ता

जन्म :जालंधर, पंजाब

निधन : 04 Jul 1963 | पंजाब, पाकिस्तान

संबंधी : बेदम शाह वारसी (मुरीद)

अबरार शाह वारसी का अस्ली नाम अल्लाह दत्ता था। जालंधर शहर की एक बस्ती में सुकूनत-पज़ीर थे। बेदम शाह वारसी से बैअ’त-ओ-रंगीन-पोशी थी। जब हिंद-पाक का बटवारा हुआ तो अबरार वारसी ने हिज्रत कर के मुल्तान में आ कर सुकूनत इख़्तियार फ़रमाई। मुल्तान ही में 1963 ई’स्वी में विसाल हुआ। वहीं पर दफ़्न हुए और मज़ार बना। आपको हाजी वारिस अ’ली शाह से वालिहाना इ’श्क़-ओ-मोहब्बत थी। उसी इ’श्क़ के जज़्बे और दिल की कैफ़ियात के इज़्हार के लिए शे’र-ओ-शाइ’री की तरफ़ माइल हुए। आपका सारा कलाम पंजाबी ज़बान में है जो ना’तों पर मुश्तमिल है। हिन्दुस्तान की तक़्सीम से पहले आपका कलाम ब-उ’नवान-ए-अब्र-ए-करम, अब्र-ए-बहार और अब्र-ए-रहमत तक़रीबन 1943 ई’स्वी में छपा। पाकिस्तान के मा’रिज़-ए- वजूद में आने के बा’द अब्र-ए-बाराँ, अब्र-ए-जमाल, अब्र-ए-पाकिस्तान, अब्र-ए-अनवार, अब्र-ए-कमाल, अब्र-ए-मदीना और अब्र-ए-मोहब्बत के उ'न्वान से आपकी किताबें शाए’ हुईं|

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