संपूर्ण
ग़ज़ल2
शे'र3
ई-पुस्तक1
परिचय
दोहा10
राग आधारित पद1
भजन4
ना'त-ओ-मनक़बत2
क़िता'1
सेहरा1
बसंत1
सावन1
कृष्ण भक्ति सूफ़ी कलाम1
अमीनुद्दीन वारसी के अशआर
अच्छे से ख़ुश बुरे से ख़फ़ा है ये नٖफ़्स-ए-बद
देखे कोई तो हाल-ए-ज़ार इस शरीर का
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तू पास था तो हिज्र था अब दूर है तो वस्ल
सब से अलग है रंग तिरे इस असीर का
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होता नहीं है सर से मेरे ये कभी जुदा
एहसान मानता हूँ मैं एहसान-ए-पीर का
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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere