संपूर्ण
ग़ज़ल2
शे'र3
ई-पुस्तक1
परिचय
दोहा10
राग आधारित पद1
भजन4
ना'त-ओ-मनक़बत2
क़िता'1
सेहरा1
बसंत1
सावन1
कृष्ण भक्ति सूफ़ी कलाम1
अमीनुद्दीन वारसी के दोहे
पीतम पत तुम हाथ है लाज करूँ कह काज
भिक्षा माँगूँ आप से दान दियो महाराज
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काह कहूँ कुछ बन नहीं आवत सुनो गरीब-नवाज
दीन-दयाल हरो दुख संकट लाज-पति महाराज
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बैरी महा-बरियार है बैर करत हर-आन
दास तुम्हारी आस है पत राखो भगवान
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साइन आए निबाहे लियो महा पड़ यों दुख माँह
धन निरास तुम आस है गहियो पीतम बाँह
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जोत बिछाऊँ नैन की सीस धरूँ वही ठाँव
चरन धरूँ पीतम जहाँ और बसूँ जेह गाँव
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मोरे तुम रघुबीर हो और नहीं कोऊ तीर
पीर हरो किरपा करो लाज धरो मन धीर
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हाथ जोड़ पय्याँ परत माँगत पी से दान
एक बार किरपा करो धन तुम पर कुर्बान
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पीतम पत तुम हाथ है दुखियन के राज
'अमीनुद्दीन' पे कृपा करो लाज रक्खो महाराज
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मैं निर्गुणी प्रतिपाल पत सदअन आस तुम पास
नियरे रहो दयाल सत जस फूलन मा बास
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हाथ जोड़ मिन्ती करत और नवावत सीस
धन निरास तुम आस है आन मिलो जगदीस
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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere