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बाबा फ़रीद

1173 - 1266 | कोथेवाल, पाकिस्तान

बारहवीं सदी के मुबल्लिग़ और सूफ़ी बुज़ुर्ग थे, उनको क़ुरून-इ-वुस्ता के सबसे मुमताज़ और क़ाबिल-ए-एहतिराम सूफ़िया में से एक कहा गया है, उनका मज़ार पाकपतन, पाकिस्तान में है

बारहवीं सदी के मुबल्लिग़ और सूफ़ी बुज़ुर्ग थे, उनको क़ुरून-इ-वुस्ता के सबसे मुमताज़ और क़ाबिल-ए-एहतिराम सूफ़िया में से एक कहा गया है, उनका मज़ार पाकपतन, पाकिस्तान में है

बाबा फ़रीद का परिचय

पूरा नाम शेख़ फ़रीदुद्दीन मसूद| बाबा फ़रीद गंज-ए-शकर के नाम से विख्यात| प्रसिद्ध चिश्ती संत ख़्वाजा क़ुतुबुद्दीन बख्तियार काकी के मुरीद और हज़रत निजामुद्दीन औलिया, शेख़ जमालुद्दीन हांसवी और साबिर कलियारी जैसे प्रसिद्ध सूफ़ी संतों के गुरु बाबा फरीद ने शुरुआती दिनों में हरियाणा के हांसी में क़याम किया मगर लोगों का बढ़ता हुजूम देखकर पाकपट्टन चले गए और वहीं की ख़ाक के सुपुर्द हुए| बाबा फ़रीद की ख़ानक़ाह में हिन्दू जोगियों और मुस्लिम दरवेशों का ताँता लगा रहता था| बाबा फ़रीद ने कभी भी दरबार का रुख़ नहीं किया और यहीं शिक्षा अपने मुरीदों को भी दी| कहते हैं कि बाबा फ़रीद के देहांत के बाद उनकी ख़ानक़ाह में इतने पैसे भी नहीं थे कि अंत्येष्टि- क्रिया संपन्न हो सके| उनके मुरीदों ने ख़ानक़ाह की दीवार गिरा कर जो ईटें मिली उन्हें बेच कर उनका अंतिम संस्कार किया . प्रमुख रचनायें - बाबा फरीद की वाणी श्री गुरु ग्रन्थ साहिब में संकलित हैं .

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