Font by Mehr Nastaliq Web
Sufinama
noImage

بابا لال

بابا لال

چوپائی 1

 

ساکھی 4

जिह की आशा कछु नहीं, आतम राखै शून्य।

तिंहकी नहिं कुछ भर्मणा, लागै पाप पुण्य।।

  • شیئر کیجیے

आशा विषय विकार की, बांध्या जग संसार।

लख चौरासी फेर में, भरमत बारंबार।।

  • شیئر کیجیے

जाके अंतर बासना, बाहर धारे ध्यान।

तिंह को गोविंद ना मिलै, अंत होत है हान।।

  • شیئر کیجیے

देहा भीतर श्वास है, श्वासा भीतर जीव।

जीवे भीतर वासना, किस विध पाइये पीव।।

  • شیئر کیجیے

Recitation

Jashn-e-Rekhta | 13-14-15 December 2024 - Jawaharlal Nehru Stadium , Gate No. 1, New Delhi

Get Tickets
بولیے