दाता साहिब की सूफ़ी कहानियाँ
हिकायत- 5
फ़क़ीर वह है जिसे कभी ग़िना न हो।यह वह मा'नी है जिसे शैख़-ए-तरीक़त हज़रत ख़्वाजा अ'ब्दुल्लाह अन्सारी रज़ियल्लाहु अ'न्हु ने फ़रमाया कि हमारा ग़म तो दाएमी है। किसी हाल में न तो हम अपनी हिम्मत से मक़्सूद हासिल कर सकते हैं।