ग़ुबार भट्टी का परिचय
मुशताक़ अहमद नाम और ग़ुबार तख़ल्स था। वालिद का नाम मौलाना निसार अहमद था। ग़ुबार भट्टी बाराबंकी में नवंमर 1920 ई’स्वी में पैदा हुए।1938 ई’स्वी से अदबी दुनिया में क़दम रखा। आपको मौलवी महबूब अ’ली मुहिब्ब, मुख़तार मुंशी कामिल, मौलाना हस्रत मोहानी, हकीम हादी रज़ा, हकीम मुन्ने आग़ा फ़ाज़िल और हकीम बाक़र हुसैन शाइ’र जैसे असातिज़ा की सोह्बत हासिल थी। आपके कलाम हिन्दुस्तान के मुख़्तलिफ़ रसाएल में शाए’ होते रहे। तबाबत और तस्नीफ़-ओ-तालीफ़ आपकी मशग़ूलियात में शामिल थीं। ग़ालिब, इक़बाल और हसरत मोहानी के बड़े मद्दाह थे। ग़ुबार की दो तस्नीफ़ नन्ही रूह और परवाज़-ए- ग़ुबार मंज़र-ए-आ’म पर आ चुकी हैं| ग़ुबार भट्टी बाराबंकी में ज़रूर पैदा हुए मगर वो अ’ज़ीमाबाद में ही रहे और यहीं की ख़ाक में दफ़्न हुए।