कौसर ख़ैराबादी का परिचय
उपनाम : 'कौसर'
मूल नाम : हकीम आबिद अली
जन्म :ख़ैराबाद, उत्तर प्रदेश
निधन : उत्तर प्रदेश, भारत
संबंधी : हाफ़िज़ याक़ूब औज (मुर्शिद), रसा हमदानी (मुर्शिद)
कौसर ख़ैराबाद ज़िला' सीतापुर के एक रईस ख़ानदान से तअ’ल्लुक़ रखते थे। हाजी वारिस अ’ली शाह के दस्त-ए-हक़-परस्त पर बैअ’त थे। जब बैअ’त से मुशर्रफ़ हुए तो दिल के चमन में इ’श्क़-ओ-मोहब्बत की बहार आ गई। इस मोहब्बत से सरशार हो कर अपना इज़हार-ए-मोहब्बत शाइ’री के रूप में करने लगे। वैसे भी ख़ैराबाद की सर-ज़मीन मर्दुम-ख़ेज़ थी। आपका कलाम इ’श्क़-ओ-मोहब्बत और तसव्वुफ़ में डूबा हुआ है। इसी वजह से आपका नाम आज तक ज़िंदा है और ज़िंदा रहेगा। आपके कलाम को उस दौर के मशहूर-ए-ज़माना रसाइल और जरीदों ने अपने सफ़हात पर जगह दी। कौसर ख़ैराबादी अमीर मीनाई लखनवी के शागिर्दों में से थे। बारगाह-ए-वारसी के शो’रा-ए-वारसिया के ज़ुम्रे में शामिल थे। वारसी मुशाइ’रों में निहायत अ’क़ीदत-ओ-मोहब्बत से शिर्कत करते रहे| बेदम शाह वारसी ने आपको इफ़्तिख़ारुश्शो’रा का ख़िताब दिया था। कौसर ख़ैराबादी की पैदाइश तो ख़ैराबाद में हुई मगर एक मुद्दत तक अपने वतन ख़ैराबाद से बहुत दूर सूबा-ए- बिहार के शहर -ए-गया में 35 साल (1887 ता 1922 ई’स्वी) मुक़ीम रहे। एक दफ़्आ’ शादाब अ’ज़ीमाबादी की दा’वत पर अमीर मीनाई 1887 ई’स्वी में अ’ज़ीमाबाद (पटना) आए। उनके साथ ‘रियाज़’ ख़ैराबादी और ‘कौसर’ ख़ैराबादी भी थे। नवाब मिर्ज़ा मुहम्मद सई’द के मकान में क़याम था। नवाब मिर्ज़ा मुहम्मद सई’द और नवाब मिर्ज़ा मुहम्मद अमीर साथ ही रहते थे। नवाब साहिब का मकान शहर-ए- गया के मोहल्ला करानी घाट में था। उसी जगह कौसर का मतब भी था। मकातीब-ए-अमीर मीनाई मुरत्तबा अहसनुल्लाह ख़ान साक़िब में अमीर मीनाई के ‘कौसर’ साहिब के नाम 24 ख़ुतूत मिलते हैं। किताबत की मुद्दत 1892 ई’स्वी ता 1898 ई’स्वी रही। उनमें कुछ ख़ुतूत क़याम-ए- गया के मुतअ’ल्लिक़ हैं। शहर-ए- गया उस ज़माने में शहर-ए- गंज के नाम से भी मंसूब था। ‘कौसर’ ख़ैराबादी के शागिर्दों में औज गयावी, ईजाद गयावी, बद्र दानापुरी, रसा हमदानी, सरीर काबरी और शफ़क़ इ’मादपुरी के नाम अहम हैं। अपनी उ’म्र के आख़िरी अय्याम में ‘कौसर’ ख़ैराबाद तशरीफ़ लाए और यहीं 1922 ई’स्वी में उन्होंने रिहलत फ़रमाई।