लियोनिद सोलोवयेव के व्यंग्य
मुल्ला नसरुद्दीन- पहली दास्तान
"यह भी बयान किया गया है कि वह सीधा-सादा इंसान अपने गधे की लगाम पकड़े चल रहा था और गधा पीधे-पीछे आ रहा था।" -(अलिफ़ लैला की शहरज़ाद की 382 वीं रात) जब ख़ोजा नसरुद्दीन की पैंतीसवीं सालगिरह थी, तो वह सड़कों पर मारा-मारा फिर रहा था। परदेशों में, एक शहर