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महमूद अ’ली सबा

1907 | पटना, भारत

शाद अ’ज़ीमाबादी के आख़िरी दौर के शागिर्द

शाद अ’ज़ीमाबादी के आख़िरी दौर के शागिर्द

महमूद अ’ली सबा का परिचय

उपनाम : 'सबा'

मूल नाम : महमूद अ’ली ख़ान

जन्म : 01 Aug 1907 | पटना, बिहार

महमूद अ’ली ख़ाँ, नवाब सय्यद अहमद अ’ली ख़ाँ पटना के साहिब-ज़ादे थे। आपकी पैदाइश शहर-ए-अ’ज़ीमाबाद में 23 अगस्त 1907 ई’स्वी- मुताबिक़ 13 रजब 1325 हिज्री जुमअ’ के रोज़ हुई। आपकी अदबी ज़िंदगी का आग़ाज़ 1922 ई’स्वी से हुआ जब आप मैट्रिक के तालिब-ए-इ’ल्म थे। 1924 ई’स्वी में आपने कॉलेज में बज़्म-ए-अदब की बुनियाद डाली और मुशाइ’रा मुंअ’क़िद किया जिसमें शाद अ’ज़ीमाबादी, हाफ़िज़फ़ज़्ल-ए-हक़ आज़ाद और तमन्ना इमादी-ओ-दीगर असातिज़ा शरीक हुए थे जिसका गुलदस्ता भी अ’ज़ीमाबाद से शाए’ हुआ था। शे’र-ओ-सुख़न में अपने ख़ाला-ज़ाद भाई हमीद अ’ज़ीमाबादी से इब्तिदा में इस्लाह ली फिर बा-ज़ाब्ता तौर पर शाद अ’ज़ीमाबादी के आख़िरी दौर के शागिर्दों की सफ़ में शामिल हुए। आपने ग़ज़ल के अ’लावा रुबाई’, क़िताअ’ और नज़्म भी कही है लेकिन उन्हें ग़ज़ल का शाइ’र कहलाना ज़्यादा पसंद था। शे’र-ओ-शाइ’री के अ’लावा अदबी मज़ामीन भी लिखा करते थे जो बिहार के मुख़्तलिफ़ रिसालों में शाए’ हुआ करते थे। महमूद अ’ली ख़ाँ सबा की चंद तस्नीफ़ात भी मंज़र-ए-आ’म पर आ चुकी हैं। आप मुख़्तलिफ़ समाजी और सियासी इदारों से भी मुंसलिक रह चुके हैं। इंआ’म-ओ-इकराम भी पाया और शोहरत-ओ-बुलंदी भी हासिल की


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