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उमर ख़य्याम

1048 - 1131 | निशापुर, ईरान

आ’लमी फ़ारसी रुबाई-गो शाइ’र और फ़लसफ़े की दुनिया का उस्ताद जिनका अपना कलेंडर था, आपके इ’ल्म-ओ-फ़ज़्ल का ए’तराफ़ अहल-ए-ईरान से बढ़ कर अहल-ए-यूरोप ने किया

आ’लमी फ़ारसी रुबाई-गो शाइ’र और फ़लसफ़े की दुनिया का उस्ताद जिनका अपना कलेंडर था, आपके इ’ल्म-ओ-फ़ज़्ल का ए’तराफ़ अहल-ए-ईरान से बढ़ कर अहल-ए-यूरोप ने किया

उमर ख़य्याम का परिचय

उपनाम : 'ख़य्याम'

मूल नाम : अबुल फ़तह उमर

जन्म : 01 May 1048 | निशापुर, खोरासान

निधन : 01 Dec 1131 | निशापुर, खोरासान, ईरान

उ’मर ख़य्याम का पूरा नाम अबुल-फ़त्ह उ’मर ख़य्याम बिन इब्राहीम निशापुरी है। ख़य्याम नीशापुर ईरान के बाशिंदा थे। साल-ए-पैदाइश 408 हिज्री या 410 हिज्री और साल-ए-वफ़ात 526 हिज्री है। उ’मर ख़य्याम इ’ल्म-ए-हैयत, इ’ल्म-ए-मौसीक़ी और इ’ल्म-ए-रियाजी़ के बहुत बड़े फ़ाज़िल थे। इन उ’लूम के अ’लावा शे’र-ओ-सुख़न में भी उनका पाया बहुत बुलंद है। उनके इ’ल्म-ओ-फ़ज़्ल का ऐ’तराफ़ अहल-ए-ईरान से बढ़कर अहल-ए-यूरोप ने किया है। फ़ारसी ज़बान में उनकी रबाई’यात दुनिया भर में मशहूर हैं। ख़य्याम अ’हद-ए-सल्जूक़ी के एक अ’ज़ीम-ओ-क़दीम शाइ’र गुज़रे हैं। ख़य्याम सल्जूक़ी सल्तनत से वाबस्ता थे। ख़य्याम के अंदर बहुत सी खूबियाँ थीं। वो रियाज़ी-दाँ, माहिर-ए-फ़ल्कियात, मौसीक़ार, मुनज्जिम , फ़ल्सफ़ी और आ’लमी शोहरत के हामिल शाइ’र थे।


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