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राक़िम वारसी

- 2017 | कानपुर, भारत

मुम्ताज़ आ’लिम-ए-दीन, फ़ाज़िल-ए-मतीन और वारसी शाइ’र

मुम्ताज़ आ’लिम-ए-दीन, फ़ाज़िल-ए-मतीन और वारसी शाइ’र

राक़िम वारसी का परिचय

उपनाम : 'राक़िम'

मूल नाम : सैयद इ’नायतुर्रहमान

जन्म :कानपुर, उत्तर प्रदेश

निधन : 01 May 2017 | उत्तर प्रदेश, भारत

राक़िम शाह वारसी का अस्ल नाम सय्यद इ’नायतुर्रहमान और राक़िम तख़ल्लुस था। आपके आबा-ओ-अज्दाद ईरान के शहर शीराज़ के क़स्बा ईल्च में मुक़ीम थे मगर ख़ानाजंगी की वजह से हिज्रत कर गए और देहली में सुकूनत इख़्तियार कर लिया। सदियों तक मुफ़्ती-ए- शहर और क़ाज़ी-ए- शहर के मन्सब पर भी फ़ाइज़ रहे। 1857 ई’स्वी में उनके दादा मौलाना क़ुतुबुल-ख़त्ताब सय्यद उ’मर अ’ली शहर -ए-देहली से फर्रुखाबाद आ गए और यहीं राक़िम वारसी के दादा की पैदाइश हुई जिनका नाम सय्यद ज़ुहूर अ’ली था। ये हज़रत शाकिर हुसैन बख़्श के मुरीद थे और शाइ’री में हाफ़िज़ तख़ल्लुस करते थे। राक़िम वारसी के जद्द-ए-अमजद 1901 ई’स्वी में कानपुर आए और उनकी मौत भी यहीं हुई। राक़िम वारसी के वालिद का नाम शफ़ीउ’र्रहमान नूरुल्लाह था। उन्हों ने दुनियावी उ’लूम हासिल करने के बा’द इ’ल्म-ए-तज्वीद की तकमील की और फ़न्न-ए-क़िराअत भी सीखा। अहसनुल-मदारिस,कानपूर से सनद हासिल की। राक़िम शाह वारसी को इस से पहले सिलसिला-ए-चिश्तिया निज़ामिया और सिलसिला-ए-नक़्शबंदिया अबुल-उ’लाइया की भी ख़िलाफ़त मिली था। बचपन ही से शे’र-ओ-शाइ’री का ज़ौक़ था। 28 मई 2017 ई’स्वी को देवा में इंतिक़ाल हुआ और कानपुर के आबाई मस्कन ले जाया गया और वहीं सपुर्द-ए-ख़ाक हुए।


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