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Sufinama
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सई’द शहीदी

1914 - 2000

सई’द शहीदी के अशआर

आज उनके दामन पर अश्क मेरे ढलते हैं

ग़म के तेज़-रू धारे रास्ते बदलते हैं

देखना ज़रा हमदम रौशनी है गुलशन में

आशयाना जलता है या चिराग़ जलते हैं

ये किस ने निगाहों से साग़र पिलाए ख़ुदी पर मेरी बे-ख़ुदी बनके छाए

ख़बरदार दिल मक़ाम-ए-अदब है, कहीं बादानोशी पे धब्बा ना आए

aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

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