सई’द शहीदी के अशआर
आज उनके दामन पर अश्क मेरे ढलते हैं
ग़म के तेज़-रू धारे रास्ते बदलते हैं
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देखना ज़रा हमदम रौशनी है गुलशन में
आशयाना जलता है या चिराग़ जलते हैं
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ये किस ने निगाहों से साग़र पिलाए ख़ुदी पर मेरी बे-ख़ुदी बनके छाए
ख़बरदार ऐ दिल मक़ाम-ए-अदब है, कहीं बादानोशी पे धब्बा ना आए
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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere