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शाह वलीउल्लाह देहलवी

1703 - 1762 | दिल्ली, भारत

बर्र-ए-सग़ीर के नाम-वर आ’लिम-ए-दीन और मुहद्दिस

बर्र-ए-सग़ीर के नाम-वर आ’लिम-ए-दीन और मुहद्दिस

शाह वलीउल्लाह देहलवी का परिचय

उपनाम : 'अमीन'

मूल नाम : वलीउल्लाह

जन्म : 01 Feb 1703 | मुज़फ़्फ़रनगरी, उत्तर प्रदेश

निधन : 01 Aug 1762 | दिल्ली, भारत

शाह वलीउल्लाह मुहद्दिस देहलवी बर्र-ए-सग़ीर के नामवर आ’लिम-ए-दीन गुज़रे हैं| शाह वलीउल्लाह 21 फरवरी 1703 ई’स्वी को मुज़फ़्फ़रनगर भारत में पैदा हुए और 20 अगस्त 1762 ई’स्वी को दिल्ली में वफ़ात पाई। शाह वलीउल्लाह हिंद-पाक के नामवर आ’लिम-ए-दीन, इलाही यात-दाँ, फ़लसफ़ी और मुहद्दिस गुज़रे हैं। उन्होंने सात साल की उ’म्र में क़ुरआन हिफ़्ज़ किया। उनके वालिद शाह अ'बदुर्रहीम मुहद्दिस देहलवी भी अपने अ’हद के मायानाज़ मुहद्दिस थे। उन्हीं से इक्तिसाब-ए-फ़ैज़ किया और बैअ’त-ओ-ख़िलाफ़त भी पाई। शाह वलीउल्लाह नक़्शबंदिया अबुल-उ'लाइया की पैरवी किया करते थे। शाह वलीउल्लाह मुहद्दिस देहलवी ने क़ुरान-ए-पाक का फ़ारसी में तर्जुमा भी किया है। इसके अ’लावा इ’ल्म-ए-तफ़्सीर, इ’ल्म-ए-हदीस, इ’ल्म-ए-फ़िक़्ह, इ’ल्म-ए-तारीख़ और तसव्वुफ़ पर भी किताबें लिखीं मगर उनको शोहरत उनकी किताब हुज्जातुल्लाहुल -बालिग़ा से मिली। शाह वलीउल्लाह ने ब-हैसियत-ए-दाई’ भी बड़े बड़े कारनामे अंजाम दिए। समाज की बुराइयों को दूर किया और मुआ’शरे में फैलने वाली ग़लत-फ़हमियों को हिक्मत-ओ-दानाई से ख़त्म किया।

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