सय्यद सबाहुद्दिन अब्दुल रहमान के सूफ़ी लेख
हज़रत मौलाना ज़ियाउद्दीन नख़्शबी
इस्म-ए-गिरामी ज़ियाउद्दीन और तख़ल्लुस नख़्शबी था। बदायूँ के रहने वाले थे। ज़िंदगी गोशा-ए-तन्हाई में गुज़ारी लेकिन अपनी इस्ति’दाद की वजह से बड़ी शोहरत हासिल की। ‘अख़्बारुल-अख़्यार’ और ‘ख़ज़ीनतुल-अस्फ़िया’ में है कि मौलाना ज़ियाउद्दीन नख़्शबी की इरादत
aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere