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अशआर

1912 -1973

अपनी गज़ल “मोहब्बत करने वाले कम न होंगे” के लिए मशहूर

सिलसिला-ए-वारसिया से अ’क़ीदत रखने वाला शाइ'र

-1961

हाजी वारिस अ’ली शाह के मुरीद और अ’र्श गयावी के शागिर्द

1875 -1951

स्वतंत्रता सेनानी और संविधान सभा के सदस्य। ' इंक़िलाब ज़िन्दाबाद ' का नारा दिया। कृष्ण भक्त , अपनी ग़ज़ल ' चुपके चुपके, रात दिन आँसू बहाना याद है ' के लिए प्रसिद्ध

1989

इस्लामाबाद के युवा कवि जिनकी शाइ'री सुंदरता , प्रेम , सूफीवाद और नैतिक शिक्षाओं से भी भरपूर है।

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