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Sufinama
Ameer Bakhsh Sabri's Photo'

अमीर बख़्श साबरी

1916 | लाहौर, पाकिस्तान

दबिस्तान-ए-साबिरी का एक सूफ़ी शाइ’र

दबिस्तान-ए-साबिरी का एक सूफ़ी शाइ’र

अमीर बख़्श साबरी के अशआर

जब से लगी है आँख भी मेरी लगी नहीं

ये आतिश-ए-फ़िराक़ है रहती दबी नहीं

किसी की तेग़-ए-अदा ने क़ज़ा का काम किया

हमें तमाम किया अपना ख़ूब नाम किया

निराले की निराली हर अदा है

जिधर देखो उधर जल्वा-नुमा है

aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

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