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Ameer Bakhsh Sabri's Photo'

अमीर बख़्श साबरी

1916 | लाहौर, पाकिस्तान

दबिस्तान-ए-साबिरी का एक सूफ़ी शाइ’र

दबिस्तान-ए-साबिरी का एक सूफ़ी शाइ’र

अमीर बख़्श साबरी का परिचय

उपनाम : 'अमीर'

मूल नाम : अमीर बख़्श

जन्म :बुलंदशहर, उत्तर प्रदेश

निधन : पंजाब, पाकिस्तान

अमीर बख़्श साबरी का शुमार हिन्दुस्तान के सूफ़ी शो’रा में होता है। आपने ना’त-ओ-मंक़बत के अ’लावा गागर, चादर और दीगर सूफ़ियाना रुसूम पर भी शाइ’री की है। आपकी पैदाइश 1916 ई’स्वी में तहसील खुर्जा ज़िला बुलंदशहर में हुई। वालिद का नाम अल्लाह बख़्श और दादा का नाम करीम बख़्श था| वालिदा का नाम महमूदा बेगम था जो सिलसिला-ए-साबिरीया में मुरीद थीं। वालिद और वालिदा दोनों नेक सीरत थे। अमीर साबरी साहिब ने पाकिस्तान बनने पर लाहौर हिज्रत की और मज़ंग में रिहाइश इख़्तियार की। पाकिस्तान में हेल्थ डिपार्टमेंट में नौकरी की और वहांँ से ही रिटायर हुए। आप हज़रत सय्यद मुहम्मद हुसैन साबरी ख़ामोशी अल-मा’रूफ़ पेश इमाम साहिब (मद्फ़न मियां साहिब क़ब्रिस्तान,लाहौर के दस्त-ए-हक़ पर मुरीद हुए जो हैदराबाद दकन से तअ’ल्लुक़ रखते थे । हज़रत मुहम्मद शाह हाशिम हुसैनी साबरी ख़ामोशी के ख़लीफ़ा थे। अमीर साबरी अपने मुर्शिद के पहले ख़लीफ़ा हुए। मियाना क़द और धीमे मिज़ाज के आदमी थे। शे’र कहना शुरूअ किया तो मुर्शिद को दिखाया। मुर्शिद ने पसंद फ़रमाया और फ़रमाया "अमीर अ’ली लिखा करो। ख़ूब लिखोगे अच्छा लिखोगे ۔ यूंँ अमीर साबरी के शे’री सफ़र की इब्तिदा हुई। महाफ़िल की ज़ीनत बने। कव्वालों ने आपका कलाम ख़ूब गाया। अब भी आपके लिखे कलाम महाफ़िल को गरमाते हैं।अशरफ़ निज़ामी साहिब लाहौर में आपकी याद-गार हैं|


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