रहीम
पद 2
दोहा 140
रहिमन बात अगम्य की कहन सुनन की नाहिं
जे जानत ते कहत नहि कहत ते जानत नाहिं
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रहिमन धागा प्रेम का मत तोड़ो छिटकाय
टूटे से फिर ना मिले मिले गाँठ पड़ जाय
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रहिमन पानी राखिये बिनु पानी सब सून
पानी गए न ऊबरे मोती मानुष चून
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बड़े बड़ाई ना करैं बड़ो न बोलैं बोल
'रहिमन' हीरा कब कहै लाख टका मो मोल
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रहिमन चुप ह्वै बैठिए देखइ दिनन को फेर
जब नीके दिन आइहैं बनत न लगिहै देर
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