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शाह अब्दुल लतीफ़ भिटाई

1689 - 1752 | सिंध, पाकिस्तान

शाह अब्दुल लतीफ़ भिटाई

सूफ़ी उद्धरण 25

इंसान की ज़िंदगी का असली मक़सद महबूब-ए-हक़ीक़ी (ख़ुदा) तक पहुँचना है और अपनी हस्ती को उस में बिल्कुल मिला देना है, ये काम बड़ा कठिन है।

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ख़ुदा ने इंसान को अशरफ़-उल-मख़लूकात सबसे अच्छा प्राणी बनाया है और इसके साथ ही उस पर एक बड़ी ज़िम्मेदारी भी डाली है।

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तसव्वुफ़ इंसानों से दूर भागने का रास्ता नहीं है, बल्कि यह इंसानी बराबरी, आपसी भाईचारे, शांति और अच्छे व्यवहार का मार्ग है।

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शाइरी अपने आप में कोई मक़सद नहीं है, बल्कि मक़सद हासिल करने का ज़रिया है।

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सूलूक (आध्यात्मिक मार्ग) का यात्री अपना सफ़र जारी रखता है।

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