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फ़ना बुलंदशहरी

- 1986 | कराची, पाकिस्तान

हिंद-ओ-पाक के मक़बूल-ए-ज़माना शाइ’र

हिंद-ओ-पाक के मक़बूल-ए-ज़माना शाइ’र

फ़ना बुलंदशहरी

ग़ज़ल 37

शे'र 53

कलाम 8

ना'त-ओ-मनक़बत 1

 

फूल 1

 

वीडियो 17

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ऐ सनम तुझ को हम भुला न सके

ज़की अज़हरी

किस को सुनाऊँ हाल-ए-ग़म कोई ग़म-आश्ना नहीं

वखरा मलंग

दुनिया के हर ख़याल से बेगाना कर दिया

राहिल फ़ारूक़

मेरे रश्क-ए-क़मर तू ने पहली नज़र जब नज़र से मिलाई मज़ा आ गया

नुसरत फ़तेह अली ख़ान

मेरे रश्क-ए-क़मर तू ने पहली नज़र जब नज़र से मिलाई मज़ा आ गया

जुनैद असग़र

मेरे रश्क-ए-क़मर तू ने पहली नज़र जब नज़र से मिलाई मज़ा आ गया

अनिता सिंघ्वी

मेरे रश्क-ए-क़मर तू ने पहली नज़र जब नज़र से मिलाई मज़ा आ गया

मेरे रश्क-ए-क़मर तू ने पहली नज़र जब नज़र से मिलाई मज़ा आ गया

नुसरत फ़तेह अली ख़ान

मेरे रश्क-ए-क़मर तू ने पहली नज़र जब नज़र से मिलाई मज़ा आ गया

राहत फ़तेह अली ख़ान

मेरे रश्क-ए-क़मर तू ने पहली नज़र जब नज़र से मिलाई मज़ा आ गया

नुसरत फ़तेह अली ख़ान

मेरे रश्क-ए-क़मर तू ने पहली नज़र जब नज़र से मिलाई मज़ा आ गया

नुसरत फ़तेह अली ख़ान

मेरे रश्क-ए-क़मर तू ने पहली नज़र जब नज़र से मिलाई मज़ा आ गया

राहत फ़तेह अली ख़ान

मेरे रश्क-ए-क़मर तू ने पहली नज़र जब नज़र से मिलाई मज़ा आ गया

जुनैद असग़र

मेरे रश्क-ए-क़मर तू ने पहली नज़र जब नज़र से मिलाई मज़ा आ गया

राहत फ़तेह अली ख़ान

मेरे रश्क-ए-क़मर तू ने पहली नज़र जब नज़र से मिलाई मज़ा आ गया

नुसरत फ़तेह अली ख़ान

हुस्न-ए-बुताँ का इश्क़ मेरी जान हो गया

हाँ वही इश्क़-ओ-मोहब्बत की जिला होती है

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