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Shah Mohsin Danapuri's Photo'

शाह मोहसिन दानापुरी

1881 - 1945 | दानापुर, भारत

हज़रत शाह अकबर दानापुरी के साहिब-ज़ादे और ख़ानक़ाह-ए-सज्जादिया अबुल-उ’लाइया, दानापुर के बा-कमाल सज्जादा-नशीन

हज़रत शाह अकबर दानापुरी के साहिब-ज़ादे और ख़ानक़ाह-ए-सज्जादिया अबुल-उ’लाइया, दानापुर के बा-कमाल सज्जादा-नशीन

शाह मोहसिन दानापुरी का परिचय

हज़रत शाह मोहसिन दानापुरी की पैदाइश अपनी नानीहाल गोलखपुर ज़िला' पटना में 17 जमादीउस्सानी ब-रोज़-ए-सोमवार 1298 हिज्री मुवाफ़िक़ 9 मई 1881 ई’स्वी को हुई। आपका नाम आपके जद्द-ए-अमजद मख़दूम शाह सज्जाद पाक ने एक घंटा मुराक़बा के बा’द मुहम्मद मोहसिन रखा था। आपका तारीख़ी नाम ख़ुर्शीद हसनैन है। आप काफ़ी लहीम शहीम और क़वीउ’लजुस्सा थे। (मौलिद-ए-फ़ातिमी सफ़हा 32) शाह मोहसिन दानापुरी के वालिद का नाम हज़रत शाह अकबर दानापुरी था।आप बर्र-ए-सग़ीर के नामवर बुज़ुर्ग, साहिब-ए- तसानीफ़-ए-कसीरा, मशहूर आ’लिम-ए-दीन और सूफ़ी शाइ’र थे। आपके जद्द-ए-आ’ला फ़ातिह-ए-मनेर हज़रत इमाम मुहम्मद ताज फ़क़ीह 576 हिज्री में मक्का मुअ’ज़्ज़मा से बिहार तशरीफ़ लाए और यहाँ के राजा मनेर से जँग की। जँग में राजा मारा गया और आपने फ़त्ह पाकर यहीं मनेर सूबा-ए- बिहार में अपनी औलाद को बसा कर ख़ुद मक्का लौट गए। बिहार में इस्लाम शाह मोहसिन दानापुरी के अज्दाद-ए- उ’ज़्ज़ाम से ही फैला है। हिन्दुस्तान की मशहूर वलिया मख़दूमा बीबी कमाल काको शाह मोहसिन की अपनी दादी हैं। शाह मोहसिन दानापुरी का ख़ानदान इ’ल्म-ओ-अ’मल और ज़ोह्द-ओ-तक़्वा में बड़ा ऊँचा मक़ाम रखता है। आपके जद्द-ए-अमजद मख़दूम शाह सज्जाद पाक (मुतवफ़्फ़ा 1881 ई’स्वी )अपने अ’हद के मशहूर बुज़ुर्ग गुज़रे हैं। (तज़्किरातुल-अबरार सफ़हा 40) शाह मोहसिन दानापुरी ने पाँच बरस की उ’म्र में पढ़ना शुरूअ’ कर दिया था। अपने वालिद की सोहबत इख़्तियार की। जब थोड़ा बड़े हुए तो मदरसा इह्या-उल-उ’लूम इलाहाबाद का रुख़ किया और वहीं से फ़ारिग़ हुए। ख़ानक़ाही माहौल, इ’ल्म-ओ-अदब की फ़ज़ा और बुज़ुर्गों की सोहबत ने आपके इ’ल्म को चमका दिया। (तज़्किरा-ए-मुस्लिम शो’रा बिहार, जिल्द-ए- चहारुम, सफ़हा 129) शाह मोहसिन दानापुरी को अपने वालिद हज़रत शाह अकबर दानापुरी से सिलसिला-ए-नक़्शबंदिया अबुलउ’लाइया में बैअ’त हासिल था। आप रोज़-ए-अव्वल ही इजाज़त-ओ-ख़िलाफ़त से भी नवाज़े गए। आप तसव्वुफ़ के वो रुमूज़ बयान करते थे कि सुनने वाला मुतहय्यर हो जाता था। ख़्वाजा सय्यद बहाउद्दीन नक़्शबंद और सय्यदना अमीर अबुल-उ’ला से आपको बे-पनाह अ’क़ीदत थी। 16 शा’बानुल-मुअ’ज़्ज़म 1327 हिज्री को आप ख़ानक़ाह-ए-सज्जादिया अबुल-उ’लाइया दानापुरी के दूसरे सज्जादा-नशीन मुंतख़ब हुए और 37 बरस तक दीनी ख़िदमत ब-हुस्न-ओ-ख़ूबी अंजाम देते रहे| (बज़्म-ए-अबुल-उ’ला, जिल्द-ए- दोउम सफ़हा 255) शाह मोहसिन दानापुरी फ़क़्र-ओ-तसव्वुफ़ के साथ मुल्क की सालमियत और इस्तिहकाम और क़ौमी फ़लाह-ओ-सलाह के लिए भी पेश पेश रहा करते थे। आप मिल्ली और समाजी तहरीक से भी काफ़ी शग़फ़ रखते थे।1925 ई’स्वी में मौलाना शौकत अ’ली, मौलाना ज़फ़र अ’ली और सर सय्यद अ’ली इमाम बैरिस्टर की क़ियादत में अंजुमन हिफ़ाज़तुल-मुस्लिमीन का सेह-रोज़ा जल्सा पटना में मुंअ’क़िद हुआ जिसमें हिन्दुस्तान के अकाबिर सियासी रहनुमा शरीक-ए-इज्लास हुए थे। इस जल्से की पहले दिन की सदारत ब-इत्तिफ़ाक़-ए-आरा शाह मोहसिन दानापुरी ने की थी। इस दौरान आपने अपनी इन्क़िलाबी शाइ’री से मुसलमानों को बेदार किया करते मगर फिर कुछ ही साल बा’द दुनियावी इ’ज़्ज़-ओ-जाह से किनारा-कशी इख़्तियार फ़रमा लिया था। शाह मोहसिन दानापुरी सैर-ओ-सियाहत के बड़े शौक़ीन थे।उन्होंने एशिया के अ’लावा मुल्क-ए-अ’रब तक का सैर किया है। बंगाल से कश्मीर तक और लाहौर से मुल्तान तक शाह मोहसिन दानापुरी के मो’तक़िद भरे हुए थे। नाज़िमाबाद कराची में हज़रत मोहसिन के मुरीद-ओ-ख़लीफ़ा मौलाना अ’ब्दुल ग़नी शाह की ख़ानक़ाह भी थी। 1924 ई’स्वी में आप अपने मुरीद-ओ-ख़लीफ़ा हाजी बाबू ख़ाँ मोहसिनी के हम-राह-इ- सफ़र हज्ज भी किया। आपके सैंकड़ों ख़ुलफ़ा पटना, जहानाबाद, गया, किशनगंज, इलाहाबाद, आगरा, रांची, हैदराबाद, अजमेर, बिकानेर, कराची, लाहौर, रावलपिंडी, ढाका और चटागाँव वग़ैरा में पाए जाते थे। मशहूर अदीब-ओ-शाइ’र सबा अकबराबादी आपके ही मुरीद हैं| (बिहार में उर्दू की सूफ़ियाना शाइ’री, सफ़हा 212) आप फ़ितरी शाइ’र थे। आपके शे’र-ओ-सुख़न में तसव्वुफ़ की आमेज़िश और रुहानी जल्वा-गरी नुमायाँ थी। अपने वालिद शाह अकबर दानापुरी पूरी ही से इस्लाह-ए-सुख़न लेते रहे। आपकी शाइ’री में मुतअ’द्दिद शो’रा का रंग पाया जाता आप ने 1927 ई’स्वी में इख़्वानुस्सफ़ा की बुनियाद डाली जिसके तहत मुशाइ’रे भी हुआ करते थे और हिन्दुस्तान की माया-नाज़ हस्तियाँ शरीक-ए-मुशाइ’रा हुआ करती थीं। 1919 ई’स्वी में दरगाह पटना में सेह-रोज़ा कुल-हिंद तारीख़ी मुशाइ’रा हुआ जिसमें अहसन मारहरवी, साएल देहलवी, नूह नारवी, डॉक्टर मुबारक अ’ज़ीमाबादी और हामिद अ’ज़ीमाबादी शरीक-ए-महफ़िल हुए। लिहाज़ा एक शब की सदारत शाह मोहसिन दानापुरी ने की थी। आपने जो ग़ज़ल पढ़ी थी उसका मतला’ ये है क़ैस रुख़्सत हुआ दुनिया से तो फ़रहाद आया -एक ना-शाद गया दूसरा ना-शाद आया शाह मोहसिन दानापुरी शाइ’र-ए-मशरिक़ सर मुहम्मद इक़्बाल से बे-हद मुतअस्सिर थे। उनकी ग़ज़ल पर मुख़म्मस भी कहा है। आपकी शाइ’री का मुकम्मल गुल-दस्ता कुल्लियात-ए-मोहसिन में मौजूद है। आपने कई मुशाइ’रे में भी शिर्कत की थी। नूह नारवी , साएल देहलवी, सीमाब अकबराबादी, डॉक्टर मुबारक अ’ज़ीमाबादी आपके ख़ास अहबाब में शामिल थे। आपके तलामिज़ा की ता’दाद बहुत ज़्यादा हुई। उनमें वफ़ा अकबराबादी, नज़र इलाहाबादी, आसी गयावी, मुज़फ़्फ़र काकवी सुम्मा कराची, रूह काकवी ज़्यादा मशहूर हुए। शाह मोहसिन दानापुरी की ग़ज़ल के चंद अश्आ’र मुलाहिज़ा हों। मरने की थी सबील जिए जा रहा हूँ मैं साक़ी पिला रहा है और पिए जा रहा हूँ मैं साक़ी को दिल में याद किए जा रहा हूँ मैं का’बे में भी शराब पिए जा रहा हूँ मैं मोहसिन हरीम-ए-दिल में उसे देख-देख कर अपना तवाफ़ आप किए जा रहा हूँ मैं (तज़्किरा मुस्लिम शो’रा-ए-बिहार, हिस्सा चहारुम, सफ़हा 129)، रुहानी गुल-दस्ता, सफ़हा 50) 1 : कुल्लियात-ए-मोहसिन मख़तूता कुतुब-ख़ाना ख़ानक़ाह-ए-सज्जादिया) 2 : फ़ुग़ान-ए-दरवेश (तब्अ’ 1939 ई’स्वी इलाहाबाद) 3 : बुर्हानुल-आ’शिक़ीन (तब्अ ’ 1931 ई’स्वी पटना) 1 : हज़रत मौलाना सय्यद शाह ज़फ़र सज्जाद अबुल-उ’लाई दानापुरी, (जाँनशीन) 2 हज़रत मौलाना अ’ब्दुल-ग़नी मोह्सिनी कराची 3 : हज़रत सय्यद अ’ब्दुल हलीम अकबरी हिल्सवी 4 : हज़रत मौलाना ग़ुलाम रसूल ख़ाँ मोह्सिनी अकबराबादी 5 : हज़रत क़ाज़ी ग़ुलाम किब्रिया अबुल-उ’लाई चोरू 6 : हज़रत हकीम सय्यद अ’ब्दुर्ररहमान काकवी सुम्मा कराची 7 : हज़रत शाह ख़ादिम हुसैन क़मरी राजस्थानी 8 : हज़रत मौलाना सय्यद इस्माई’ल अबुल-उ’लाई रूह काकवी वग़ैरा (बज़्म-ए-अबुल-उ’ला, जिल्द -ए-दोउम 254) शाह मोहसिन दानापुरी ने तीन शादियाँ कीं थीं। पहली शादी मौलाना सय्यद नज़ीर हसन अबुल-उ’लाई दानापुरी की बेटी से हुई। उनसे दस औलाद हुई। जिनमें सिर्फ़ एक फ़र्ज़न्द हज़रत मौलाना सय्यद शाह ज़फ़र सज्जाद अबुल-उ’लाई दानापुरी ज़िंदा रहे बाक़ी सब कम-सिनी में फ़ौत हुए। आपकी दूसरी शादी ख़ानक़ाह-ए-मनेर शरीफ़ के सज्जादा-नशीन हज़रत सय्यद शाह फ़ज़्ल अहमद फ़िरदौसी की बेटी से हुई जिनसे तीन बेटे और एक बेटी हुई। बेटी शम्सुन्नहार को छोड़कर तीनों फ़र्ज़न्द-ए-अर्जुमंद सय्यद ज़ैनुस्साजिदीन सय्यद अमीनुस्साजिदीन और सय्यद ऐ’नुस्साजिदीन अ’हद-ए-शबाब में फ़ौत हुए। शाह मोहसिन दानापुरी की बेटी का निकाह हज़रत नसीम हिल्स्वी के पोते सय्यद अख़तर आ’लम अबुल-उ’लाई से हुआ। ये कराची में आबाद हैं| आपकी तीसरी शादी हकीम सय्यद अ’ब्दुस्समद नियावाँ मुत्तसिल मनेर शरीफ़ की बेटी से हुई। जिनसे कोई औलाद नहीं हुई। इतवार की शाम 24 मुहर्रमुल-हराम 1364 हिज्री मुवाफ़िक़ 9 जनवरी 1945 ई’स्वी को आप का विसाल हुआ। आपका मज़ार-ए-अक़्दस आस्ताना-ए-मख़दूम सज्जाद शाह टोली दानापुर ज़िला' पटना में अनवार-ए-तजल्लियात है। (ख़ानक़ाह-ए-सज्जादिया का तारीख़ी पस-मंज़र सफ़हा 35)


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