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شیخ احمد کھٹّو

1338 - 1446 | احمد آباد, بھارت

شیخ احمد کھٹّو

دوہا 4

तू जाने करतार, जी मुझ साजन बे-पीरा।

सांई ही की सार, पांजर मां जोबन बसे।।

  • شیئر کیجیے

तती बंधी कंजी, ज्यूं घन ओझल होय।

मूरख राखै नैन, मूंह के राखे होय।।

  • شیئر کیجیے

दूखा काजल जे करुँ, तो सोकन दुःख दीन्ह।

पियु देखन दीन्ह मुझ, आप देख सकीन्ह।।

  • شیئر کیجیے

दिपती बुझती एक पल, जानो बरस पचास।

जीकन देख दीस की, बरस अंत मास।।

  • شیئر کیجیے

دوہرا 1

 

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