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Sufinama
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सूफ़ी तबस्सुम

1899 - 1978 | लाहौर, पाकिस्तान

उर्दू, फ़ारसी और पंजाबी ज़बान के शाइ’र

उर्दू, फ़ारसी और पंजाबी ज़बान के शाइ’र

सूफ़ी तबस्सुम का परिचय

उपनाम : 'तबस्सुम'

मूल नाम : ग़्हुलाम तबस्सुम

जन्म : 01 Aug 1899 | अमृतसर, पंजाब

निधन : 07 Feb 1978 | पंजाब, पाकिस्तान

सूफ़ी ग़ुलाम मुस्तफ़ा तबस्सुम को लोग सूफ़ी तबस्सुम के नाम से जानते हैं। वो उर्दू, फ़ारसी और पंजाबी ज़बानों के शाइ’र थे। सूफ़ी तबस्सुम की पैदाइश 4 अगस्त 1899 ई’स्वी अमृतसर में हुई थी। 7 फरवरी 1978 ईस्वी को लाहौर में उन्होंने वफ़ात पाई। सूफ़ी तबस्सुम पेशे से शाइ’र, नग़्मा-निगार और मुसन्निफ़ थे। पंजाबी ज़बान बचपन से बोली इसलिए ये उनकी पेशा-वराना ज़बान भी रही। 1965 ई’स्वी की जंग में पाक फ़ौज के लिए लिखे जानेवाले नग़्मात ने सूफ़ी तबस्सुम को बड़ी शौह्रत दिला दी। सूफ़ी तबस्सुम के बुज़ुर्गों का वतन कश्मीर था। दादा शैख़ अहमद सूफ़ी नानबाई थे। जब कश्मीर में क़हत पड़ा तो उन्होंने दीगर कश्मीरी ख़ानदानों की तरह पंजाब का रुख किया और अमृतसर में आबाद हुए। सूफ़ी तबस्सुम ने चर्च मिशन हाई स्कूल, अमृतसर से मैट्रिक और ख़ालिसा कॉलेज, अमृतसर से एफ़.ए इम्तिहान पास किया। उसी कॉलेज में बी.ए के लिए दाख़िला लिया मगर उसी ज़माने में उनकी अ’ल्लामा अ’र्शी अमृतसरी से दोस्ती हो गई। फ़िरोज़ुद्दीन की शागिर्दी में शे’र-ओ-शाइ’री का चस्का पड़ा और ता’लीम की तरफ़ तवज्जा न रही और बी.ए का इमतिहान पास न किया। लाहौर आकर एफ़.सी कॉलेज में दाख़िला लिया और 1923 ई’स्वी में फ़ारसी ऑनर्ज़ में बी. ए किया। 1924 ई’स्वी में इस्लामिया कॉलेज, लाहौर से फ़ारसी में एम.ए किया। सूफ़ी तबस्सुम ने मुलाज़िमत का आग़ाज़ गर्वनमैंट ऑफ़ इंडिया आर्मी हैड क्वाटर्रज़ मैडीकल डायरेक्टोरेट से किया।1927 ई’स्वी तक वो अमृतसर रहे। वहाँ इंग्लिश टीचर गर्वनमैंट हाईस्कूल और अस्सिटैंट डिस्ट्रिक्ट इन्सपैक्टर स्कूल रहे। 1927 ई’स्वी में लाहौर आगए और लैक्चरार ट्रेनिंग कॉलेज, लैक्चरार फ़ारसी गर्वनमैंट कॉलेज, सदर शोअ’बा फ़ारसी गोनमेंट कॉलेज, लाहौर हुए। इस के अ लावा ख़ाना-ए-फ़र्हंग ईरान के डायरेक्टर, हफ़्त-रोज़ा लैल-ओ-नहार के मुदीर रहे। रेडियो पाकिस्तान लाहौर, राईटर रेडियो पाकिस्तान के लिए भी काम किया। एम.ए पंजाबी यूनिवर्सिटी ऑरिएंटल कॉलेज परेज़ीडेंट पाकिस्तान आर्टस कोंसिल में तदरीसी ख़िद्मात अंजाम दी और इक़्बाल अकैडमी पाकिस्तान के वाइस प्रैज़ीडेंट भी रहे। वो मुख़्तलिफ़ रसाइल के ऐ’ज़ाज़ी मुदीर और निगरां भी रहे। सूफ़ी तबस्सुम की शाइ’री के दो मज्मुऐ’ अंजुमन 1961 में और दामन-ए-दिल 1986 ई’स्वी में शाए’ हुए। बच्चों के लिए तीन मज्मुऐ’ झूलने, टूट बटूट और टोल-मटोल लिखे।


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