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वासिफ़ अली वासिफ़

1929 - 1993 | लाहौर, पाकिस्तान

पाकिस्तान की मशहूर रुहानी शख़्सियत और मुमताज़ मुसन्निफ़

पाकिस्तान की मशहूर रुहानी शख़्सियत और मुमताज़ मुसन्निफ़

वासिफ़ अली वासिफ़ का परिचय

उपनाम : 'वासिफ़'

मूल नाम : वासिफ़ अली

जन्म : 15 Jan 1929 | पंजाब

निधन : 18 Jan 1993 | पंजाब, पाकिस्तान

वासिफ़ अ’ली वासिफ़ 15 जनवरी 1929 ई’स्वी को शाहपुर, ख़ुशाब में पैदा हुए। आपके वालिद का नाम मलिक मुहम्मद आ’रिफ़ था जिनका तअ’ल्लुक़ वहाँ के क़दीम और मुअ’ज़्ज़ज़ अ’वान क़बीले से था। अ’वान क़ौम की एक मुम्ताज़ शाख़ कंडान से उनका तअ’ल्लुक़ था। वासिफ़ अ’ली वासिफ़ की इब्तिदाई ता’लीम ख़ुशाब में हुई। यकुम जून 1942 ई’स्वी को गर्वनमैंट हाई स्कूल खुशाब से मिडल का इम्तिहान पास किया। उस के बा’द आप अपने नाना के पास झंग चले गए। मैट्रिक यकुम नवंबर 1944 ई’स्वी को गर्वनमैंट हाई स्कूल झंग से पास किया। एफ़.ए 2 जनवरी 1948 ई’स्वी को गर्वनमैंट इंटरमीडियट कॉलेज झंग और बी.ए 19 दिसंबर 1949 ई’स्वी को गर्वनमैंट कॉलेज झंग से पास किया। उस के बा’द पंजाब यूनीवर्सिटी से अंग्रेज़ी अदब में एम.ए किया। 3 जून 1954 ई’स्वी को सिविल सर्विस का इम्तिहान पास किया। वासिफ़ अ’ली वासिफ़ हॉकी के बहुत अच्छे खिलाड़ी थे। 24 अक्तूबर 1970 ई’स्वी को उनकी शादी हुई।उनको को एक बेटा और तीन साहिबज़ादियाँ थीं। उनकी नस्री तसानीफ़ में किरण-किरण सूरज, क़तरा -क़तरा क़ुल्ज़ुम, हर्फ़-हर्फ़ हक़ीक़त, दिल-दरिया समुंद्र, बात से बात, दरीचे, ज़िक्र-ए-हबीब, मुकालमा और गुफ़्तुगू शामिल हैं। उनके शे’री मजमूए’ शब-चराग़, शब-ज़ाद और भरे भड़ोले के नाम से इशाअ֦त -पज़ीर हुए हैं। वासिफ़ अ’ली वासिफ़ 18 जनवरी 1993 ई’स्वी को लाहौर में वफ़ात पा गए और लाहौर ही में मियानी साहिब के क़ब्रिस्तान में आसूदा-ए-ख़ाक हुए। वासिफ़ अ’ली वासिफ़ लाखों लोगों के लिए एक मिसाली हस्ती हैं। उनके अक़्वाल बहुत मशहूर हुए जिन्हें लोगों ने ख़ूब पसंद किया और अपनी ज़िंदगी में उसे इस्ति’माल किया, जैसे “हम जिन लोगों का नाम अदब से लेते हैं उनकी ज़िंदगी को नहीं अपनाते, हम सदाक़त की तब्लीग़ करते हैं और अ’मल अपनी तब्लीग़ से बाहर होता है” (हर्फ़-हर्फ़ हक़ीक़त, सफ़हा 240) “ आज का इन्सान सिर्फ़ मकान में रहता है उसका घर ख़त्म हो गया है” “हर क़दीम कभी जदीद था और हर जदीद कभी क़दीम होगा” “हम आराम की आरज़ू में बे-आराम हो रहे हैं”

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