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सूफ़ी लेख
अमीर ख़ुसरो - तहज़ीबी हम-आहंगी की अ’लामत - डॉक्टर अनवारुल हसन
ब-गिर्य: पा-ए-जानाँ ग़र्क़-ए-ख़ूँ कर्द।।क़िरानुस्सा’दैन में पगड़ी और चीरा का ज़िक्र इस तरह किया है।
सूफ़ीनामा आर्काइव
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ना'त-ओ-मनक़बत
शब्बीर साजिद मेहरवी
ग़ज़ल
अर्श गयावी
सूफ़ी लेख
पदमावत में अर्थ की दृष्टि से विचारणीय कुछ स्थल - डॉ. माता प्रसाद गुप्त
जोगौटा रुद्राख अधारी।।चक्र के संबंध में डॉ. अग्रवाल ने टिप्पणी ने कहा है चक्र सभत छोटा
हिंदुस्तानी पत्रिका
सूफ़ी लेख
कबीरपंथी और दरियापंथी साहित्य में माया की परिकल्पना - सुरेशचंद्र मिश्र
अभिमान विशेष रूप से कष्टदायक सिद्ध होता है। अभिमानी व्यक्ति इस संसार में ऐंठकर चलता है,
हिंदुस्तानी पत्रिका
सूफ़ी लेख
सतगुरू नानक साहिब
कोई सिख दाढ़ी नहीं मुंडवाता न कतरवाता है।ये भी अ’लामत वहदत की है,क्यूँकि क़ौम एक शक्ल
सूफ़ीनामा आर्काइव
सूफ़ी कहानी
कहानी-20- फ़क़ीरी गुलिस्तान-ए-सा’दी
जब वह गवैया बरबत पर और भी ज़ोर से गाने लगा तो मैंने मेज़बान से कहा,
सादी शीराज़ी
व्यंग्य
मुल्ला नसरुद्दीन- दूसरी दास्तान
"मुझे जाने दो! मुझे आगे बढ़ने दो! अल्लाह के नाम पर! यहां हो क्या रहा है?"चायख़ाने
लियोनिद सोलोवयेव
सूफ़ी लेख
ख़्वाजा क़ुतुबुद्दीन बख़्तियार काकी
बात ब-ज़ाहिर मा’मूली सी नज़र आती है कि ता’वीज़ की इजाज़त तलब की गई और वो
ख़्वाजा हसन सानी
क़िस्सा
क़िस्सा चहार दर्वेश
मैं ने कहा, ‘तेरे ग़ुलाम की हवेली नज़दीक है। अब आ पहुँचे, इतमीनान रखो और क़दम
अमीर ख़ुसरौ
सूफ़ी साहित्य
रिसाल:-ए-साहिबिया
आप हमेशा बेदार रहते हैं और जब गेया दीद-ओ-दीद का सिलसिला आँखों से ओझल होता है