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Sufinama
Ghulam Naqshband Sajjad's Photo'

ग़ुलाम नक्शबंद सज्जाद

1704 - 1759 | फुलवारी शरीफ़, भारत

ग़ुलाम नक्शबंद सज्जाद के अशआर

जब आग धदकती हो उस पर मत छीटियो तेल ख़ुदा रा तुम

क्या दिल की ख़ुशी को पूछो हो यारो इक नाशाद सती

मन पाया है उस ने दिल मेरा काबा है घर अल्लाह का है

अब खोद के उस को फिकवा दे वो बुत कहीं बुनियाद सती

उठेगा यहाँ फिर कभी शोर-ए-तमन्ना

दिल बीच यही यास अब उम्मीद करे है

जब आग धदकती हो उस पर मत छीटियो तेल ख़ुदा रा तुम

क्या दिल की ख़ुशी को पूछो हो यारो इक नाशाद सती

जिस रोज़ कि पहुँचे है नई कोई मुसीबत

उस रोज़ तेरा ख़ूगर-ए-ग़म ई’द करे है

जिस रोज़ कि पहुँचे है नई कोई मुसीबत

उस रोज़ तेरा ख़ूगर-ए-ग़म ईद करे है

जब मौसम-ए-गुल आन के ताईद करे है

तब जोश-ए-जुनूँ अक़्ल की तरदीद करे है

aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

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