1929 - 1993 | लाहौर, पाकिस्तान
पाकिस्तान की मशहूर रुहानी शख़्सियत और मुमताज़ मुसन्निफ़
बेदार कर देने वाला ग़म ग़ाफ़िल कर देने वाली ख़ुशी से ब-दर्जहा बेहतर है।
बदी की तलाश हो तो अपने अंदर झाँको, नेकी की तमन्ना हो तो दूसरों में ढूंढ़ो।
बेहतरीन कलाम वही है जिसमें अल्फ़ाज़ कम और मा’नी ज़्यादा हों।
लोग दोस्त को छोड़ देते हैं बहस को नहीं छोड़ते।
वो शख़्स अल्लाह को नहीं मानता जो अल्लाह का हुक्म नहीं मानता।
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