संपूर्ण
परिचय
फ़ारसी कलाम22
कलाम23
फ़ारसी सूफ़ी काव्य55
ब्लॉग12
रंग1
ई-पुस्तक64
बसंत1
शे'र9
वीडियो197
गेलरी 5
दो सुखना29
ढकोसला7
क़िस्सा1
दोहा9
निस्बत25
पहेली26
क़ौल1
ख़ालिक़ बारी1
गीत3
ना'त-ओ-मनक़बत1
सावन1
कह मुकरनी14
अमीर ख़ुसरौ के दोहे
'ख़ुसरव' रैन सुहाग की जागी पी के संग
तन मेरो मन पीव को दोउ भए एक रंग
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
गोरी सोवै सेज पर मुख पर डारै केस
चल 'ख़ुसरव' घर आपने रैन भई चहुँ देस
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
सेज सूनी देख के रोऊँ दिन रैन
पिया पिया कहती फिरूँ पल भर सुख नहि चैन
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
देख मैं अपने हाल को रोऊँ ज़ार-ओ-ज़ार
वै गुनवंता बहुत हैं हम हैं अवगुण-हार
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
वो गए बालम वो गए नदिया किनार
आपे पार उतर गए हम तो रहे एही पार
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
भाई रे मल्लाह हम को पार उतार
हाथ को देऊँगी मुन्दरा गले को देऊँगी हार
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
श्याम सेत गोरी लिये जन-मत भई अनीत
एक पल में फिर जात है जोगी काके मीत
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
पंखा हो कर मैं डुली सेती तेरा चाव
मुज जलती जनम गई तेरे लेखन भाव
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
चकवा चकवी दो जने उन मारे न कोय
ओह मारे कर्तार के रैन बिछौही होय
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere