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Sufinama
Amir Khusrau's Photo'

अमीर ख़ुसरौ

1253 - 1325 | दिल्ली, भारत

ख़्वाजा निज़ामुद्दीन औलिया के चहेते मुरीद और फ़ारसी-ओ-उर्दू के पसंदीदा सूफ़ी शाइ’र, माहिर-ए-मौसीक़ी, उन्हें तूती-ए-हिंद भी कहा जाता है

ख़्वाजा निज़ामुद्दीन औलिया के चहेते मुरीद और फ़ारसी-ओ-उर्दू के पसंदीदा सूफ़ी शाइ’र, माहिर-ए-मौसीक़ी, उन्हें तूती-ए-हिंद भी कहा जाता है

अमीर ख़ुसरौ के दोहे

'ख़ुसरव' रैन सुहाग की जागी पी के संग

तन मेरो मन पीव को दोउ भए एक रंग

गोरी सोवै सेज पर मुख पर डारै केस

चल 'ख़ुसरव' घर आपने रैन भई चहुँ देस

सेज सूनी देख के रोऊँ दिन रैन

पिया पिया कहती फिरूँ पल भर सुख नहि चैन

देख मैं अपने हाल को रोऊँ ज़ार-ओ-ज़ार

वै गुनवंता बहुत हैं हम हैं अवगुण-हार

वो गए बालम वो गए नदिया किनार

आपे पार उतर गए हम तो रहे एही पार

भाई रे मल्लाह हम को पार उतार

हाथ को देऊँगी मुन्दरा गले को देऊँगी हार

श्याम सेत गोरी लिये जन-मत भई अनीत

एक पल में फिर जात है जोगी काके मीत

पंखा हो कर मैं डुली सेती तेरा चाव

मुज जलती जनम गई तेरे लेखन भाव

चकवा चकवी दो जने उन मारे कोय

ओह मारे कर्तार के रैन बिछौही होय

aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

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