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अमीर ख़ुसरौ

1253 - 1325 | दिल्ली, भारत

ख़्वाजा निज़ामुद्दीन औलिया के चहेते मुरीद और फ़ारसी-ओ-उर्दू के पसंदीदा सूफ़ी शाइ’र, माहिर-ए-मौसीक़ी, उन्हें तूती-ए-हिंद भी कहा जाता है

ख़्वाजा निज़ामुद्दीन औलिया के चहेते मुरीद और फ़ारसी-ओ-उर्दू के पसंदीदा सूफ़ी शाइ’र, माहिर-ए-मौसीक़ी, उन्हें तूती-ए-हिंद भी कहा जाता है

अमीर ख़ुसरौ

शे'र 9

कलाम 23

दोहा 9

'ख़ुसरव' रैन सुहाग की जागी पी के संग

तन मेरो मन पीव को दोउ भए एक रंग

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गोरी सोवै सेज पर मुख पर डारै केस

चल 'ख़ुसरव' घर आपने रैन भई चहुँ देस

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सेज सूनी देख के रोऊँ दिन रैन

पिया पिया कहती फिरूँ पल भर सुख नहि चैन

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देख मैं अपने हाल को रोऊँ ज़ार-ओ-ज़ार

वै गुनवंता बहुत हैं हम हैं अवगुण-हार

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वो गए बालम वो गए नदिया किनार

आपे पार उतर गए हम तो रहे एही पार

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पहेली 26

फ़ारसी कलाम 22

फ़ारसी सूफ़ी काव्य 55

क़िस्सा 1

 

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