Sufinama
noImage

ख़्वाजा अज़ीज़ुल हसन मज्ज़ूब

1884 - 1944 | उरई, भारत

ख़्वाजा अज़ीज़ुल हसन मज्ज़ूब

ग़ज़ल 62

कलाम 21

ना'त-ओ-मनक़बत 7

क़िता' 10

मुनाजात 4

 

वीडियो 17

This video is playing from YouTube

वीडियो का सेक्शन
अन्य वीडियो
आईना बनता है रगड़े लाख जब खाता है दिल

नूर अहमद क़ासमी

उन को तू ने क्या से क्या शौक़-ए-फ़रावाँ कर दिया

राहिल फ़ारूक़

ऐ मिरे दाता ऐ मिरे मालिक ऐ मिरे मौला ऐ मिरे वाली

शैख़ ख़लीलुर रहमान

ऐ मिरे मौला मेरी नज़र में तू ही तू हो तू ही तू

युनुस पटेल

कुछ न पूछो क्या हुआ क्यूँकर हुआ

नूर अहमद क़ासमी

कोई मज़ा मज़ा नहीं कोई ख़ुशी ख़ुशी नहीं

अज्ञात

जला ही देगा तिफ़्ल-ए-अश्क दामान-ए-नज़र अपना

नूर अहमद क़ासमी

जहाँ बदला तो बदला तू भी ऐ जान-ए-जहाँ बदला

नूर अहमद क़ासमी

जहाँ में हैं ’इबरत के हर-सू नमूने

जहाँ में हैं ’इबरत के हर सू नमूने ग़ुलाम मुस्तफ़ा क़ादरी

ज़ाहिर मुती’-ओ-बातिन ज़ाकिर मुदाम तेरा

नूर अहमद क़ासमी

तुम जिस को देख लो वो न पहलू में पाए दिल

अज्ञात

नहीं मेरा कोई हामी ख़ुदावंदा सिवा तेरे

नूर अहमद क़ासमी

यार रहे या-रब तू मेरा और मैं तेरा यार रहूँ

अनस युनुस

रहने दो चुप मुझे न सुनो माजरा-ए-दिल

अज्ञात

हम नहीफ़ों से गुरेज़ आप को दरकार नहीं

नूर अहमद क़ासमी

हर इक 'आशिक़ नए अंदाज़ से क़ुर्बान-ए-क़ातिल था

नूर अहमद क़ासमी

हर तमन्ना दिल से रुख़्सत हो गई

जहाँ ज़ेब तारिक़

Recitation

Jashn-e-Rekhta | 8-9-10 December 2023 - Major Dhyan Chand National Stadium, Near India Gate - New Delhi

GET YOUR PASS
बोलिए