यारी साहब का परिचय
इनके जीवन के विषय में कोई जानकारी नहीं मिलती। सिवाय इसके कि जाति के मुसलमान थे और दिल्ली में अपने गुरू वीरु साहब की सेवा करते थे। बाद में उनके चोला छोड़ने पर उसी जगह बैठकर सत्संग करते रहे। इनकी समाधि दिल्ली में मौजूद है। इनका समय विक्रमी संवत् 1725-1780 के दरमियान है। यारी साहब के शिष्य बुल्ला साहब थे जो गुलाल साहब के गुरु और भीखा साहब के दादा गुरु थे। इनके चार चेले और प्रसिद्ध हैं- केशवदास जी, सूफी शाह, शेखन शाह और हक्त मुहम्मद शाह। इनके शब्दों के संग्रह का नाम रत्नावली है। यारी साहब के नाम से कोई पंथ नहीं चला।