बहराम जी के अशआर
मस्नद-ए-किम-ख़्वाब शाहाँ को कहाँ हासिल ये क़्दर
मंजिलत तेरे गदाओं की जो ख़ाकस्तर में है
-
टैग : ख़्वाब
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
क़ैदी-ए-ज़ुल्फ़ कभी गाह असीर-ए-गेसू
हमने इस दिल को इसी तरह का सौदा देखा
-
टैग : असीर
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
आरज़ू-ए-दीन-ओ-दुनिया अब नहीं ‘बहराम’ कुछ
पर मिरा निकले उम्मीद-ए-रहमत-ए-यज़्दाँ में दम
-
टैग : उम्मीद
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
सर्व-ए-गुलशन हो सनोबर हो कि हो फ़ित्ना-ए-हश्र
सच तो ये है कि ग़ज़ब वो क़द-ए-बाला देखा
-
टैग : गुलशन
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
उस के नज़्ज़ारे की हो कैसे दिल-ए-इंसाँ को ताब
जल्व-ए-ज़ात-ए-ख़ुदा तेरे रुख़-ए-अनवर में है
-
टैग : ख़ुदा
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
हैं ख़जिल क़ौस-ओ-हिलाल-ओ-ख़ंजर-ओ-तेग़-ए-सितम
क़ातिल-ए-आ’लम है तेरी अबरु-ए-पुर-ख़म नहीं
-
टैग : क़ातिल
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
खींचता हूँ मैं तसव्वुर से ब-दिल तस्वीर-ए-यार
आफ़ताब-ए-सुब्ह साँ महबूब मेरे बर में है
-
टैग : आफ़ताब
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere